टी.बी. होने से जीवन का अंत नहीं, इसका ईलाज संभव है - अपर कलेक्टर

अपर कलेक्टर श्री उमेशप्रकाश शुक्ला ने कहा है कि टी.बी. को समूल नष्ट करना है। इसके लिये जन जाग्रति लाना बहुत जरूरी है। लोग छुपाये नहीं, इसका ईलाज संभव है। टी.बी. होने से जीवन का अन्त नहीं। यह बात उन्होंने नवीन कलेक्ट्रेट सभाकक्ष मुरैना में टी.बी. पर आधारित कार्यशाला को संबोधित करते हुये कही। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरसी बांदिल, टी.बी प्रभारी श्री बीएल मौर्य, जिला प्रोग्रामर श्रीमती मोनाली घोष, एनजीओ सहित अन्य स्टाफ उपस्थित थे।
    अपर कलेक्टर श्री शुक्ला ने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक टीबी का एक भी मरीज न रहे, इसके लिये विशेष भारत सरकार एवं राज्य सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि गांव-गांव लोंगो में जनजाग्रति पैदा करना है कि टीबी कोई टी.बी. होने से जीवन का अंत नहीं, इसका ईलाज संभव है। व्यक्ति पीड़ित होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाये और खगार की जांच कराये, अगर उसे टीबी है तो उसका ईलाज 6 महीना लेने के बाद व्यक्ति स्वस्थ्य हो जाता है।
    कार्यशाला में जिला प्रोग्रामर सुश्री मोनाली घोष ने प्रजेन्टेशन के माध्यम से सभी बिन्दुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जिले में 3 हजार 313 मरीज चिन्हित हुये है, जिनमें उनका ईलाज चल रहा है। सुश्री घोष ने बताया कि टीबी के मरीज को 500 रूपये देने के लिये शासन की योजना है। जिस व्यक्ति को बलगम में खून आना या कमजोरी होने पर उसे तत्काल अपनी टीबी की जांच कराना चाहिये। टीबी का ईलाज संभव है। 

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