अभ्युदय आश्रम का किया निरीक्षण, बच्चे कम तो फंड भी होगा कम, बच्चों के पैसों पर ऐश न फरमायें अरूणा छारी , हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों के लियेः कैम्पस अधीक्षिका की फैमिली के लिये नहीं- कलेक्टर

अगले निरीक्षण तक व्यवस्था दुरूस्त नहींं तो हटेगीं अरूणा छारी, होगी कार्यवाही 

कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा प्रातः शहर के मध्य में संचालित अभ्युदय आश्रम का निरीक्षण किया निरीक्षण के दौरान मात्र 80 छात्र छात्रायें मौजूद थे जिसमें कलेक्टर ने अभ्युदय आश्रम में बालिकाओं के रहने खाने एवं साफ सफाई के संबंध में अवलोकन किया।    




कई छात्राओं से शिक्षा का स्तर भी परखा। कलेक्टर ने अभ्युदय आश्रम की संचालिका श्रीमती अरूणा छारी को सख्त निर्देश दिये कि सर्दी से बचने के लिये छात्रों का ख्याल पहले रखा जाये स्वयं का नहीं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह आश्रम छात्रों के लिये है उन्हें ही बेहतर सुविधायें दी जायें। संचालिका को बेहतर सुविधायें देना नियम में नहीं। यह आश्रम छात्र छात्राओं के लिये है। कलेक्टर ने छात्रों के कक्षों में पहुंचकर निरीक्षण किया तो कई पलंगों पर चादर फटे हुये थे तो कई पलंग पर चादर नहीं थे। छात्रों के लिये रूम पर्याप्त मात्रा में नहीं थे। 


कलेक्टर ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुये अधीक्षिका को निर्देश दिये कि अधीक्षक रूम में छात्रों का रूकने का प्रबंध किया जाये अधीक्षिका छात्राओं के कक्ष के समीप रूकने की व्यवस्था करे। उनके लिये आलीशान शानौशौकत नहीं चलेगी। कलेक्टर ने कहा कि प्रति बच्चे को 750 रूपये मासिक शासन द्वारा प्रदान किया जाता है। उनको ही बेहतर सुविधायें नहीं दे सके तो अगले राउंड में संबंधित अधीक्षिका पर कार्यवाही करूंगा। कलेक्टर ने प्रत्येक कक्ष का निरीक्षण किया एवं बच्चों से 13 का पहाड़ा पूछा। 

  

( अवैध रूप से अवैध भवन में संचालित है , अभ्युदय आश्रम , यह भवन भारत सरकार की मिल्कियत , कामकाजी महिला छात्रावास के रूप में संचालित है यहां भारत सरकार का कामकाजी महिला छात्रावास , 52 महिलाओं के रहने , टी वी , फैक्स मशीनें और तमाम साजो सामान से सुसज्जित है यह भवन , भारत सरकार से मुरैना नगरपालिका द्वारा सन 1983-84 के वित्तीय सत्र में इस कामकाजी महिला छात्रावास को बनवाने के लिये अनुदान लिया था , इसकी निरीक्षण रिपोर्ट , कंपलीशन रिपोर्ट और इसमें उपलब्ध सारी सुविधाओं , मशीनरी , साजो सामान , फर्नीचर आदि सहित इसमें रह रही 52 महिलाओं की निरीक्षण रिपोर्ट के दस्तावेज ग्वालियर टाइम्स के पास उपलब्ध हैं , इसमें रह रहीं रातों रात 52 महिलायें अचानक गायब हो गयीं ( या उनकी ह्यूमन ट्रेफिकिंग की गयी , खैर जो भी हुआ हो ) भारत सरकार के दस्तावेजों में इस भवन के लिये जगह लेने तथा  भवन निर्माण के लिये स्थाई अनुदान राशि के साथ इसके संचालन के लिये हर साल अलग से अनुदान आता है, जो कि भारत सरकार के दस्तावेजों में अभी तक चालू है , भारत सरकार के इस भवन का इस्तेमाल किसी भी अन्य दूसरी योजना के लिये या अन्य किसी काम के लिये नहीं किया जा सकता , कलेक्टरों द्वारा इसमें किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति या आदेश किसी को भी नहीं दिया जा सकता । यह उनके अधिकार एवं कार्यक्षेत्र के बाहर की आज्ञायें व अनुज्ञप्तियां हैं । बहरहाल वस्तुस्थति जाने बगैर और गुमराह होकर इस भवन के किसी अन्य योजना के लिये निरीक्षण किये जाने और किसी भी प्रकार का कोई भी आदेश या निर्देश दिये जाने संबंधी उपरोक्त समाचार से ग्वालियर टाइम्स कोई भी इत्तफाक नहीं रखती और न किसी भी प्रकार की सहमति रखती है , एक ही भवन जिसका स्वामी केन्द्र की भारत सरकार है , उसमें मूल योजना गायब कर राज्य सरकार की अन्य योजना , जाबालि परियोजना के तहत संचालित अभ्युदय आश्रम को अलग से भूमि खरीदने , भवन निर्माण करने का अलग से 100 प्रतिशत फंड काफी पहले सन 1991-92 में ही मिल चुका है , इसके बावजूद किसी अन्य योजना के भवन को खुद का बताकर भारत शासन और मध्यप्रदेश शासन के साथ डबल क्रॉस किया गया है , जिससे ग्वालियर टाइम्स कोई भी इत्तफाक व सहमति और सहयोग नहीं रखती है । )    


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