17 गांवों को किया चिन्हित, 26 गांव चिन्हित नहीं करने वाले जनपद सीईओे को कारण बताओ नोटिस, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में होंगे 43 ग्राम शामिल - कलेक्टर

कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में केन्द्र प्रायोजित योजना के तहत सामाजिक न्याय और अधिकारिता  मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मुरैना जिले के 43 गांवों को आदर्श ग्राम घोषित करने के लिये योजना तैयार की है। योजना में उन ग्रामों पर 20-20 लाख रूपये खर्च कर आदर्श ग्राम दो वर्ष में तैयार किये जायेंगे। जिसमें मुरैना विकासखण्ड के ग्राम बिचौला, गोबरा, इमलिया, रसीलपुर, अम्बाह विकासखण्ड के ग्राम अंबाह, बिचौला, पोरसा विकासखण्ड के ग्राम लाडपुरा, रथा, सेंथरा अहीर, जौरा विकासखण्ड के ग्राम अरहेला, सांकरा, डोंगरपुर, कैलारस विकासखण्ड के ग्राम दीपहरा, थाटीपुरा और पहाडगढ़ विकासखण्ड ग्राम गैपरी, कैमारा और पचौखरा ग्राम को चिन्हित किया है। शेष 26 गांवों की जानकारी जनपद सीईओ द्वारा प्रदान की जानी है। जानकारी प्राप्त होने के बाद डीपीआर बनाकर शासन को भेजी जायेगी। उसके बाद आदर्श ग्राम योजना में 43 गांव बनेंगे। इसके तहत कलेक्टर की अध्यक्षता में अगले 7 दिवस के अंदर पुनः बैठक बुुलाई जायेगी। कलेक्टर ने कहा कि जिन जनपद सीईओ ने पूरी जानकारी नहीं दी है, उनको कारण बताओ नोटिस जारी किये जायेंगे। यह निर्देश उन्होंने नवीन कलेक्ट्रेट सभाकक्ष योजना में आदर्श ग्राम योजना की बैठक में अधिकारियों को दिये। इस अवसर पर अपर कलेक्टर, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला बाल विकास, जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग श्री मुकेश पालीवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
    कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि आदर्श ग्राम एक ऐसी संकल्पना है जिसमें लोगों को विभिन्न बुनियादी सेवायें देने की परिकल्पना की गई है ताकि समाज के सभी वर्गों की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके और असमानतायें कम से कम रहें। इन गांवों में वह सब ऐसी अवसंरचना होगी और इसके निवासियों को ऐसी सभी बुनियादी सेवाओं की सुविधा मिलेगी जो एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिये आवश्यक हो ताकि प्रत्येक व्यक्ति को एक ऐसा वातावरण मिल सके वह अपनी संभाव्यताओं का पूरा उपयोग कर सके।
    इस योजना का उद्धेश्य 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति जनसंख्या वाले चुनिंदा गांवों का एकीकृत विकास सुनिश्चित करना है ताकि अन्य बातों के साथ साथ निम्नलिखित की व्यवस्था की जा सके। इस योजना के अंतर्गत सामाजिक आर्थिक विकास के लिये आवश्यक सभी अपेक्षित अवसंरचना की व्यवस्था की जरूरत है। सामाजिक आर्थिक संकेतकों में सुधार निगरानी योग्य संकेतकों के रूप में ज्ञात पहचानशुदा सामाजिक आर्थिक संकेतकों में सुधार किया जाना है, ताकि अनुसूचित जाति और गैर अनुसूचित जाति जनसंख्या में असमानता समाप्त की जा सके और संकेतकों का स्तर कम से कम राष्ट्रीय औसत तक बढाया जाये। विशेष तौर पर गरीबी रेखा से नीचे के सभी अनुसूचित जाति के परिवारों को भोजन एवं जीवन यापन की सुरक्षा मिलनी चाहिये, अनुसूचित जाति के सभी बच्चे माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा पूरी करें, मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर के सभी कारणों का समाधान किया जाना चाहिये और कुपोषण विशेषतः बच्चों एवं महिलाओं के संदर्भ में की घटनाओं को समाप्त किया जाना चाहिये। विभिन्न कार्यक्षेत्रों के लिये 50 निगरानी योग्य संकेतक 10 कार्यक्षेत्रों में पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण, समाज सुरक्षा, ग्रामीण सडकें और आवास, विद्युत और स्वच्छ ईंधन, कृषि पद्धतियां, वित्तीय समावेशन, डिजीटलीकरण, जीवन यापन और कौशल विकास शामिल हैं। 

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