राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण के तौर एसएनसीयू संचालक डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा कि जन्म के समय विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता बच्चे के साथ आती हैं जैसे कि होंठ कटा पैर मुड़ा हुआ हाथ टेड़ा आदि प्रकार की दिव्यांगता को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है, जन्म के तुरंत बाद बच्चे को जिला चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज भिजवाया जाकर। यह बात उन्होंने एक निजी होटल में प्रशिक्षण बतौर जिले के प्रसव केन्द्रों से आये मेडिकल ऑफीसर स्टाफ नर्स तथा आरबीएस के लेबर रूम इनचार्ज को प्रशिक्षण बतौर कहीं। इस अवसर पर डीपीएम श्री एसके श्रीवास्तव आरबीएस कॉर्डीनेटर राम कुमार गोयल, मेडिकल ऑफीसर जिले एवं ब्लॉक से आये लेबर रूम इन्चार्ज स्टाफ नर्स आदि उपस्थित थे।
एसएनसीयू प्रभारी डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा कि हमारे देश में 17 लाख बच्चे जन्मजात विकृति के पैदा होते हैं जिसमें 10 प्रतिशत नवजात शिशु की जन्मजात विकृति के कारण मृत्यु भी हो जाती है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य के अंतर्गत कॉन्फ्रेंसिंग न्यू बॉर्न स्क्रीनिंग सिम्पोसियम का प्रशिक्षण रखा गया है।हर डिलेवरी के पॉइंट पर हर नवजात की स्क्रीनिंग की जाये तो समय पर उसे डिसचार्ज जिला एवं मेडिकल कॉलेज पर किया जा सके तो उसे उस मृत्यु को या उस जन्मजात बीमारी को कम किया जा सकता है। इसका उद्धेश्य केवल बच्चा जीवित ही नहीं रहे केवल हेल्दी लाइफ जिये, शारीरिक मानसिक गतिविधियों में न जिये इस ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षित किया जा रहा है जिससे हम प्रदेश की मृत्यु दर को काफी हद तक और कम किया जा सकता है।
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