टीबी रोग से जीवन का अंत नहीं- कलेक्टर

टीबी हारेगा देश जीतेगा के अंतर्गत जन आंदोलन अभियान चल रहा है। टीबी रोग से व्यक्ति के जीवन का अंत नहीं टीबी का इलाज संभव है। यह बात कलेक्टर श्री बी कार्तिकेयन ने गुरूवार को नवीन कलेक्ट्रेट सभकक्ष मुरैना में संबोधित करते हुये कही। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री सुनील कुमार पांडेय, जिलाध्यक्ष श्री योगेशपाल गुप्ता, पूर्व मंत्री श्री गिर्राज डण्डोतिया, पूर्व विधायक श्री रघुराज सिंह कंषाना, श्री शिवमंगल सिंह तोमर, नगर निगम के सभापति श्री अनिल गोयल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री हंसराज सिंह, अपर कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर, सीएमएचओ डॉ आरसी बांदिल, पीएचई, सिविल सर्जन डॉ एके गुप्ता, टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. मौर्य सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।       
    कलेक्टर श्री बी कर्तिकेयन ने कहा कि देश में टीबी कोई भयानक बीमारी नहीं है। टीबी का इलाज संभव है। इसके लिये व्यक्ति को 6 माह डॉट पद्धति का इलाज लेना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि टीबी माइक्रोबेक्टिरियम टयूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होने वाला रोग है। भारत  में हर वर्ष लगभग 20 लाख लोग टीबी से पीड़ित होते हैं और प्रत्येक 3 मिनट में दो व्यक्तियों की मृत्यु टीबी के कारण होती है। टीबी का सही इलाज न होने पर फेंफड़ों की टीबी का रोगी 1 वर्ष में 10 से 15 व्यक्तियों में टीबी रोग फैला सकता है। टीबी किसी भी व्यक्ति को  हो सकती है यह आयु, लिंग, गरीब, अमीर जाति धर्म नहीं देखती। उन्होंने कहा कि टीबी की आशंका होने पर बलगम की जांच करायें। इसके लिये जिले में निशुल्क स्वास्थ्य उपचार केन्द्र हैं। जिसमें क्षय उपचार इकाई मुरैना, क्षय उपचार इकाय नूराबाद, क्षय उपचार इकाई जौरा, अंबाह, पहाडगढ, कैलारस और सबलगढ में बने हुये हैं। प्रत्येक क्षय रोगी को प्रत्येक क्षय रोगी को उसके उपचार के दौरान 500 रूपये प्रतिमाह पोषण के रूप में प्रदान किये जाते हैं। व्यक्ति को यह नहीं सोचना चाहिये कि टीबी रोग हो गया अब क्या होगा। इस रोग से बचाव संभव है किंतु इसका इलाज डॉट पद्धति से लेना अनिवार्य है।  

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