मधुमक्खी पालन से प्रमोद के जीवन में आई मिठास

अम्बाह विकासखण्ड के ग्राम सिरमौर निवासी श्री प्रमोद शर्मा पुत्र श्री रामशंकर शर्मा ने खेती को लाभ का धंधा साबित करके दिखाया है। प्रमोद शर्मा के जीवन में सरसों के अलावा मधुमक्खी पालन करने से उनके जीवन में मिठास आ गई है। अब वे खेती को लाभ धंधा साबित करा रहे है। 
    ग्राम सिरमौर निवासी श्री प्रमोद शर्मा ने बताया कि पिता एवं बाबा परंपरागत खेती किया करते थे, जिसमें खरीफ फसल में बाजरा, गेहूं के अलावा जब सरसों करनी होती तब खेत को खरीफ के समय खाली छोड़ना पड़ता था, तब कहीं सरसों की फसल उगाई जाती थी। इसके कारण खेती लाभ के धंधे की बजाय हर साल घाटे 

 का सौदा बनकर रह जाती थी। प्रमोद शर्मा ने बताया कि विगत दिवस आत्मा विभाग के मार्गदर्शन में मधुमक्खी पालन समूह का गठन किया जा रहा था, उस समय मैं भी वहीं मौजूद था । वहां मैंने भी मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया और शासन के सहयोग से मधुमक्खी रखने के लिये बॉक्स प्राप्त किया। मेरे द्वारा भी अपने खेत के पास बॉक्स रखने की सहमति दे दी। दो-चार दिन बाद मुझे बॉक्स मिले, मैंने अपने सरसों के खेत के पास बॉक्स लगा दिये, बॉक्स लगाने पर मात्र माइग्रेशन और लेवर का मामूली व्यय हुआ, किन्तु पूरे सीजन के बाद शहद से मुझे 2 लाख रूपये की आय शुद्ध प्राप्त हुई। इसके अलावा परंपरागत खेती से सरसांे, बाजरा से आय अलग प्राप्त हुई। जब रवी के समय खेती के साथ-साथ शहद से अतिरिक्त दो लाख रूपये की आय हुई तो मेरे परिवार की खुशियां दोगुनी हो गई। घर-ग्रहस्थी का खर्च भी चल रहा है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, खाद-बीज के लिये अब किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। और परिवार का पूरा खर्च शहद से हुई आय से होने लगा। जबकि सरसों, गेहूं से वर्षभर में 60 से 70 हजार रूपये की ही आय प्राप्त होती थी। वर्षभर खेती से जो आय प्राप्त हुई, वो हमारे महत्वपूर्ण कार्यो के लिये एक पूंजी के रूप में एकत्रित हुई। तब प्रमोद ने बताया कि मधुमक्खी पालन से मेरे ही नहीं मेरे परिवार में मिठास घुल गई है। अब मेरे लिये खेती घाटे का सौदा नहीं, बल्कि फायदे का सौदा साबित हो रही है।

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