क्षीर सागर अभियान से सुखद परिणाम परिलक्षित जल संरचनाओं से 10-15 फीट तक भू-जल स्तर में वृद्धि हुई

जल संरचनाओं से ग्रामीणों में आई खुशहाली

जल संरक्षण एवं जल संवर्धन के तहत मुरैना जिले में क्षीर सागर अभियान वर्ष 2018-19 से चलाया गया। जिसके सुखद परिणाम परिलक्षित हो रहे है। इस अभियान के तहत वर्ष 2018 से 2020-21 तक 907 तालाब, 312 अर्दनडेम, 1091 चैकडेम एवं 300 अन्य जल संरक्षण गतिविधियां जैसे- कंटूर ट्रेंच, गली प्लग कार्य कराये गये। अब गांव-गांव तालाब जैसी संरचना बन जाने से लोंगो को निस्तार के लिये पानी, पशुओं को पेयजल, किसानों को सिंचाई की सुविधा के साथ-साथ जमीन का वाटर लेबल भी बढ़ रहा है, जिससे कुआ, बावड़ियों और हेण्डपंपो का जल स्तर 10 से 15 फीट ऊपर आ गया है। इन जल संरचनाओं से ग्रामीणों में खुशहाली आ गई है।  
    11 फरवरी को इन छोटी-छोटी जल संरचनाओं का केन्द्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जलाभिषेकम् वर्चुअल कार्यक्रम में निर्मित जल संरचनाओं का लोकार्पित किया।
    इन जल संरचनाओं से 3 लाख 27 हजार 898 मजदूरों को मनरेगा के अन्तर्गत मजदूरी का भुगतान किया गया है। निर्मित हुये 907 तालाब और 1091 चैकडेम, 312 अर्दन डेमों से 1 हजार 113 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। जिन क्षेत्रों में जल संरक्षण के कार्य किये गये है, उन क्षेत्रों में 10-15 फीट तक भू-जल स्तर में वृद्धि हुई है। इसके अलावा वन्य जीवों एवं पशुओं को वर्षभर पानी मिल रहा है। लोंगो को निस्तार के रूप में तालाब बहुउपयोगी साबित हो रहे है।

    कैलारस विकासखण्ड की ग्राम पंचायत थाटीपुरा में बनाये गये तालाब से वहां के निवासियों में खुशहाली बनी हुई है। इस गांव के जड़ेल सिंह, भूपेन्द्र सिंह और प्रेम सिंह ने बताया कि क्षीर सागर अभियान के तहत बनाये गये तालाब हजारों आसपास के गांवों का जल स्तर बढ़ जाने से हेण्डपम्प कुओं, बावड़ियों का भी जल स्तर बढ़ गया है।

    अमर सिंह ने बताया कि तालाब नहीं था, तब हम खरीफ की फसल ही ले पाते थे, जिसमें बाजरा, अरहर, तिली, की फसल ही हो पाती थी, लेकिन तालाब के बन जाने से अब हम रबी, खरीफ दोंनो फसलें ले रहे है। ग्राम वासियों को निस्तार का पानी भी मिल रहा है। वहीं पशुओं को पीने का पानी उपलब्ध हो रहा है। 

जड़ेल सिंह ने बताया कि स्वयं के गांव में तालाब बनने की बहुत खुशी हुई है। सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि हमारे गांव को तालाब मिल गया और तालाब बनाने के लिये हमने स्वयं मजदूरी की, जिसका हमें मनरेगा से भुगतान मिला। तालाब भी हमारे मनमाफिक हमने बनाया। अब हमारे गांव में पेयजल जैसी कोई समस्या नहीं है। हेण्डपम्प, कुआ, बावड़ी में पर्याप्त पानी है, हम लोंगो को निस्तार के लिये पानी मिल रहा है। 
    भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि जिला पंचायत की मनरेगा योजना से बने इस तालाब से पशुओं को पर्याप्त पानी मिल रहा है। जब तालाब निर्मित नहीं हुआ था, तब सभी ग्रामीण ग्रीष्म ऋतु में अपने पशुओं को दूसरे गांवों में पलायन कर जाते थे। लेकिन अब पलायन की स्थिति नहीं है। 
    इसी तरह जनपद पंचायत ग्राम उराहना में बनाये गये तालाब को लेकर ग्रामीण सीताराम, रघुराज बहुत खुश है। अब उराहना में सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी, लोंगो को निस्तार के लिये पानी मिल रहा है। वहीं गांव का वाटर लेबल भी बढ़ गया है


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