सांई कृपा स्व-सहायता समूह से जुड़कर महिलायें बनीं स्वावलम्बी

मध्यप्रदेश राज्य-डे ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा स्व-सहायता समूह से जुड़कर पहाडगढ़ विकासखण्ड की महिलायें स्वावलम्बी बन रहीं है, यह साकार तब हुआ जब सांई कृपा स्व-सहायता समूह में सदस्यता लेने पर। सांई कृपा स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती आराधना सिंह धाकड़, सचिव श्रीमती अनीता धाकड़, सदस्य के रूप में श्रीमती रामस्वरूपी, सविता शाक्य, मीना शाक्य, समीना शाक्य, सुरक्षा धाकड़, सावित्री धाकड़, रेनू शाक्य, सरस्वती शाक्य और श्रीमती लीलावती धाकड़ ने अपनी मुंह जवानी हकीकत से स्वावलम्बी बनने की कहानी बताई।             

    मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से पहाडगढ़ विकासखण्ड के ग्राम धूरकूडा के स्वसहायता समूह ने वर्ष 2018 में सदस्यता ग्रहण कर समूह का गठन अध्यक्ष श्रीमती आराधना सिंह धाकड़ ने किया। श्रीमती आराधना सिंह धाकड़ कहतीं है कि महिलायें घर-गृहस्थी में चौका-चूल्हा का कार्य संभालकर बिना कार्य के पूरे दिन घर पर व्यतीत करतीं थी। श्रीमती आराधना धाकड़ ने कहा कि मेरे मन एक टीस थी कि क्यों न गरीब परिवार की महिलाओं को किसी कार्य के लिये प्रेरित करू, जिससे उनको आमदनी का स्त्रोत बनें। प्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से गांव-गांव स्व-सहायता समूहों का गठन किया। जिसमें मैंने भी सांई कृपा स्व-सहायता समूह का गठन कर 12 महिलाओं को जोड़ा। जब समूह में महिलायें जुड़ने लगी, हर माह बचत कर एक खाता खोला। इसके बाद शासन द्वारा 10 हजार रूपये चक्रीय राशि के रूप में दिये गये। इसके बाद समूह दिनों दिन तरक्की करने लगा। समूह के पास 1 लाख रूपये की राशि एकत्रित हुई। समूह ने मास्क तो बनाया ही, इसके साथ ही पीपीई किट भी बनाना प्रारंभ किया। समूह के द्वारा 500 पीपीई किट कोरोना काल में बनाई। जिससे समूह को 60 हजार रूपये का फायदा हुआ। बचत की राशि से सभी महिलाओं को वेतन बतौर बांटा गया। तब वह राशि पाकर सभी महिलायें बेहद प्रफुल्लित हुई और कहने लगी कि अब हम भी पति के साथ घर-गृहस्थी में सहयोग करने के लिये तैयार हो चुकी है। 


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