मुरैना 25 दिसम्बर ।। भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जोरों से प्रचारित और प्रसारित की जाने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि औॅर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की किसान कल्याण योतना की जमीनी हकीकत कुछ और ही है , ग्वालियर टाइम्स ने इस संबंध में व्यापक सर्वे और तहकीकात की ।
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के खुद के जिले और खुद के संसदीय क्षेत्र मुरैना में ही सबसे बड़े घोलमाल और घोटाले का जमीनी हकीकतो हकूक मौजूद है
ग्वालियर टाइम्स ने जब इन योजनाओं की जमीनी हकीकत टटोली तो असलियत कुछ और ही निकली , न तो किसी भी किसान को यहां आज तक सम्मान निधि के खाते में पैसे ही मिले और न अन्य किसी भी प्रकार का कोई लाभ , न किसी प्रकार के किसी भी सरकारी योजना के लाभ मिले और न किसी किसान की कोई पूछ परख हैं यहां । यहां आज भी खुदा पटवारी है तो भ्रष्टाचार चंबल का निजाम है ।
जो भी सरकारी कर्मचारी बन गया , खुद को खुदा समझ बैठा । और जब वापस नीचे जमीन पे आया तो न मोर बन पाया और न रहा कौआ ।
गिरने के बाद यहां किसी सरकारी कर्मचारी को नमस्कार या राम राम करने वाला खोजे खोजे नहीं मिलता । यही इस जिले की तासीर और हकीकत है । हरीदास शर्मा से लेकर ए एस आई गंभीर सिंह भदौरिया और आरक्षक पवन तिवारी और अशोक तिवारी तक भ्रष्टाचार और अंधेरगर्दी के बेेताज बादशाह जैसों को यह मुरैना जिला बरसों से देखता चला आ रहा है ।
एक समय तूती बोलने वाले और जिस भी सड़क पर निकले कर्फ्यू लग जाने वाले सहायक संचालक शिक्षा हरीदास शर्मा जो अपनी जुगाड़ तुगाड़ और तत्कालीन विधायक की चमचागिरी के दम पर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी मुरैना भी रहे ।
जब हरीदास शर्मा के बुरे दिन आये तो आते ही चले गये , फिर मरते दम तक थमे ही नहीं । सस्पेंड हुये तो आखिर तक बहाल ही नहीं हुये , 46 अपराध एक साथ पंजीबद्ध हो गये एक ही एफ आई आर में , अन्य 37 मुकदमें और जिला अदालत और हाईकोर्ट में आ गये , मरते दम तक मुकदमें ही लड़ते रहे , पेंशन सरकार ने जप्त कर ली , कैंसर हो गया , घरेलू झगड़े हो गये संतानों ने घर से बेघर कर दिया , कैंसर के इलाज के लिये पैसे ही नहीं रहे और अंतत: ऐसी गुमनाम मौत हुई कि कोई भी श्रद्धांजलि देने वाला भी नहीं मिला ।
हरीदास शर्मा जब तक जीवित रहे उन्हें कोई राम राम या नमस्कार करने वाला इस शहर में नहीं मिला , एक समय ऐसा कोई कलेक्टर या एस पी या कमिश्नर नहीं था , चंबल से भोपाल सी पी आई तक जो हरीदास शर्मा को नमस्कार कर उनकी जी हुजूरी न करता हो । हरीदास से सब भयभीत रहते थे , थर्राते थे , लेकिन अंत बहुत दुखद और भयानक हुआ ।
हरीदास को पुलिस केस से बचाने और संरक्षित करने की भ्र्ष्ष्ट पुलिस वालों और न्यायालय मुरैना के भ्रष्ट कर्मियों ने अंतिम दम तक तमाम कोशिशें की , न्यायालय के भ्रष्ट कर्मियों से मिलकर पुलिस आरक्षक अशोक तिवारी सिटी कोतवाली मुरैना में दर्ज एफ आई आर 663/02 की केस डायरी ही मुरैना कोर्ट से सन 2006 में चुरा कर लेकर भाग आया , उसमें से सारे सबूत और दस्तावेज फाड़ फाड़ कर फेंक दिये । दस साल तक यह केस डायरी पुलिस से और अदालत से गायब कर अपने पास धरे बैठा रहा , कोर्ट की आर्डरशीट दिनांक 23/11/2006 पर इस केस डायरी के गायब होने और आरक्षक अशोक तिवारी द्वारा ले जाये जाने की बाकायदा तहरीर दर्ज है और अशोक तिवारी के हस्ताक्षर की पावती भी दर्ज है ।
इसके बाद दस साल तक केस डायरी का अता पता ही नहीं लगा , न तो कोर्ट ने ही इसकी अहमियत और जहमत उठाने का खास महत्व समझा उल्टे एक भ्र्ष्ष्ट जे एम एफ सी ( जूडिशियल मजिस्ट्रेट ) जे के बाजोलिया ने तो बाकायदा आर्डरशीट लिख कर खुद की ही अदालत के खुद के ही आदेशों के खिलाफ आदेश कर मारा , हालांकि बाद के मजिस्ट्रेटों ने भ्रष्ट मजिस्ट्रेट जे के बाजोलिया का आदेश नहीं माना और केस डायरी पुलिस से वापस तलब कर ली , अंतत: सन 2015 में दिसंबर के महीने में यह केस डायरी वापस अदालत पहुंची , मगर तब तक आरक्षक अशोक तिवारी और उसकी आपराधिक गैंग करीब 3300 पेज की केस डायरी के परखच्चे उड़ा चुकी थी , और दस्तावेजी साक्ष्यों के इस आपराधिक प्रकरण के तमाम सबूत और दस्तावेज गायब कर चुकी थी , इसकी तमाम शिकायतें भी हुई मगर भ्रष्टों के रैकेट ने जेल जाने के भय से सारी शिकायतों को उच्च स्तर से दबाना शुरू कर आखिर तक दबा दिया ।
खैर वह एक अलग क्राइम और एक अलग कहानी है जो देर सबेर यह पूरी क्राइम स्टोरी ग्वालियर टाइम्स पर आना ही है मगर फिलहाल बात तो किसान सम्मान निधि की हो रही है , इसी परिप्रेक्ष्य में उपरोक्त दृष्टांत दिया गया , समझा जा सकता है कि किसान सम्मान निधि की हकीकत क्या है , अपराधी कौन हैं और अंजाम क्या होगा ।
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