ग्रामीण विकास के लक्ष्य पूरे नहीं , कलेक्टर ने दिये जनपद सीईओ सहित 18 सहायक यंत्री, एपीओ को कारण बताओं नोटिस , जिले के डीपीएम सहित 7 बीपीएम को नोटिस

 

प्रदेश सरकार की ग्रामीण विकास की योजनाओं के लक्ष्य अधिकारी पूर्ण करें। पिछले 8 माह से कोविड -19 एवं दो माह से उप निर्वाचन 2020 संपन्न कराने में योजनाओं के लक्ष्य पूर्ण होने में विलंब हुआ है। इसलिये अधिकारी योजनाओं के शीघ्र पूर्ण करायें। संविदा अधिकारियों, कर्मचारियों की मार्च के बाद सेवावृद्धि तभी बढ़ेगी जब ग्रामीण विकास योजनाओं के लक्ष्य पूर्ण हो जायेंगे। यह निर्देश कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा ने नवीन कलेक्ट्रेट सभागार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं की संमीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिये। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री तरूण भटनागर, एपीओ, श्री तिलक सिंह, समन्वयक श्री कमल यादव, समस्त जनपद सीईओ, सहायक यंत्री, समस्त एईओ, निर्माण से संबंधित अधिकारी, ब्लॉक समन्वयक, बीआरसी, मध्यान्ह भोजन से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे।   
    कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा ने समस्त अधिकारियों को कड़े निर्देश दिये है कि कोविड के कारण ग्रामीण विकास की योजनाओं के कई लक्ष्य पूर्ण नहीं हुये है। इन लक्ष्यों को पूर्ण न करने पर सीईओ पोरसा को छोड़कर समस्त सीईओ, सहायक यंत्री, एपीओ, जिला परियोजना प्रबंधक ग्रामीण आजीविका मिशन सहित ब्लॉक प्रबंधक मैनेजर को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिये है। कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि वर्ष 2016-17 में स्वीकृत ग्रामीण विकास विभाग के आंगनवाड़ी 14, खेल मैदान, 7, शान्तिधाम 16, राजीव गांधी सेवा केन्द्र 10, वृक्षारोपण 67, नाली निर्माण 10, तालाब निर्माण 3, सीसी रोड़ 7, सुदूर ग्राम संपर्क 9, प्रधानमंत्री आवास 147, रपटा निर्माण 5, रिंगबण्ड 3 एवं गौशाला निर्माण 2 अपूर्ण बताये गये है। यह निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुये, उनका कारण एवं उनकी राशि 7 दिवस के अंदर वसूल की जावे। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 में 857 कार्य अपूर्ण बताये गये है। यह राशि की भी वसूली की जावे। कलेक्टर ने कहा कि जिले में समस्त विकासखण्डों में वृक्षारोपण पर राशि स्वीकृत की गई थी। कई ग्राम पंचायतों द्वारा नर्सरी से वृक्ष खरीदकर लगाये नहीं है, उन सभी से राशि वसूल की जावे। यह राशि सहायक यंत्री, एपीओ 7 दिवस में जमा करावें। कार्य में लापरवाही पाये जाने पर पोरसा को छोड़कर जनपद सीईओ अंबाह सर्वश्री ललित चौधरी, सतेन्द्र माहौर, प्रकाश शर्मा, गिर्राज शर्मा, राजीव भदौरिया, श्याम बाथम, एपी प्रजापति, अरूण श्रीवास्तव, दीपक सिंगल, शेलेन्द्र सिंह, रवीन्द्र तोमर, लोकेन्द्र सिंह, ईश्वर वर्मा, केके बालौटिया, रामस्वरूप त्यागी, बलवीर सिंह, सतेन्द्र यादव और सतेन्द्र यादव को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिये। इसी प्रकार ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक श्री दिनेश तौमर, समस्त ब्लॉकों के प्रोजेक्ट मैनेजर को नोटिस जारी किये गये है।
    कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा ने रिजेक्ट ट्रान्जेशन के विकासखण्ड वार समीक्षा की। जिसमें कई विकासखण्डों में इस ओर ध्यान नहीं दिया है। इस पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की है। बैठक में कलेक्टर ने जीयोटेग, आधार सीडिंग, किचन शेंड, मध्यान्ह भोजन, गणवेश, नवीन स्वीकृत सुदूर सड़क, पथ विक्रेता, गौशाला निर्माण, स्वच्छ भारत मिशन, सामुदायिक स्वच्छता परिषद निर्माण का प्रगति, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की कार्य योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना के संबंध में विस्तार निर्देश अधिकारियों को दिये।  

योजनाओं को मूर्तरूप देने के लिये हितग्राहियों के खाते खुलवायें

    कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा ने समस्त जनपद सीईओ को निर्देश दिये कि एनआरएलएम के तहत पंचायत स्तर पर समूहों का गठन कर दिया गया है। समूह के खाते शतप्रतिशत खुलें। इसके लिये स्वयं जनपद सीईओ बैंको में बैठकर उन खातों को प्राथमिकता से खुलवायें। बैंक कर्मी अगर लापरवाही बरत रहें है तो बैंक से ही मुझे मोबाइल पर सूचित करें।  

मशीनों से कार्य नहीं होंगे

    कलेक्टर श्री अनुराग वर्मा ने समस्त ग्रामीण विकास से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभिन्न ग्राम पंचायतों में चल रहे निर्माण कार्य जैसे तालाब, नाली निर्माण, नाला सहित अन्य खुदाई वाले कार्य मशीनों से नहीं किये जायेंगे। इस प्रकार की शिकायत मुझे आगे मिली या मेरे भ्रमण के समय मशीनों से कार्य चलता हुआ पाया तो उस अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाही होगी।  

गौशालाओं के कार्य जल्दी पूर्ण करें

    कलेक्टर ने कहा कि जिले में 102 गौशालायें स्वीकृत की गई है। जिसमें पोरसा में 14, अंबाह में 13, मुरैना में 19, जौरा में 13, पहाडगढ़, कैलारस में 10-10 और सबलगढ़ में 23 गौशालायें स्वीकृत की गई थी। इन गौशालाओं में से 70 तकनीकी स्वीकृति हुई है। 69 गौशालाओं की प्रशासकीय स्वीकृति हुई है। उन्होंने कहा कि जो गौशालायें प्रारंभ नहीं हो पाई है, उनके लिये भूमि स्थल चयनित करें। यह गौशालायें ग्राम पंचायत में चरनोई की भूमि पर भी बनाई जा सकती है। इसके लिये 12 बीघा भूमि होनी चाहिये। जिसमें एक बीघा में पशुओं के लिये स्ट्रेक्चर तथा शेष भूमि पर चारा उगाने के लिये रहेगी। उन्होंने कहा कि जो गौशालायें बनकर तैयार हो चुकीं है, उन गौशालाओं में पशु रखने का कार्य प्रारंभ किया जाये।

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