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ग्वालियर हाई कोर्ट के जूरिस्डिक्शन क्षेत्रांतर्गत कार्य करेगा लीगल एड क्लिनिक

·       गरीबों , लाचारों को मिल सकेगी मुफ्त कानूनी सलाह और सेवायें

·       तहसील कोर्ट से लेकर एस डी एम और कलेक्टर कोर्ट से लेकर जिला एवं सत्र न्यायालयों तथा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट स्तर की सलाह एवं सेवायें उपलब्ध होंगी

·       लीगल क्लिनिक पर पात्र हितग्राहियों के अलावा अन्य व्यापारीयों और उच्च स्तरीय लोगों के लिये भी कानूनी सलाह और सेवायें सशुल्क उपलब्ध रहेंगीं

·       लीगल एड क्लिनिक पर ट्रेड मार्क , कॉपीराइट , डिजाइन , पेटेंट सम्बन्धी मामले , ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रेशन व उनकी समस्यायें , व्यापारीयों व्यावसाईयों की विभन्न समस्यायें , समितियों , फर्म्स , एम एस एम ई पंजीयन , स्टार्ट अप्स , लोन योजनाओं में सहायता , कंपनी पंजीयन , कंपनियों व शिक्षा आदि से जुड़े मामले भी निराकृत किये जायेंगें । पथ विक्रेताओं , लघु व्यासाईयों आदि के प्रकरण भी लीगल एड क्लिनिक से निराकृत किये जायेंगें ।

मुरैना 22 अक्टूबर 2022 । न्याय विभाग भारत सरकार के लिये अधिकृत व कार्यरत न्याय बंधु एडवोकेट नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपना लीगल एड क्लिनिक , स्थानीय गोपीनाथ की पुलिया पर स्थित बालाजी प्लाजा में स्थापित व शुरू करने का अधिकार शहर के प्रतिष्ठित उद्योगपति एवं व्यापारी व व्यावसाई श्री आशीष मित्तल को सौंपा है । श्री मित्तल वर्तमान में शगुन साड़ी कलेक्शन के संचालक तथा उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ जिला मुरैना के अध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक श्री राकेश मावई के विधायक प्रतिनिधि हैं । 

न्याय बंधु नरेन्द्र सिंह तोमर एडवोकेट ने श्री आशीष मित्तल के सामाजिक कार्यों और जन हितैषी व निष्काम व निष्पक्ष कार्य को देखते हुये लीगल एड क्लिनिक संचालन योग्य शख्सियत व सुपात्र पाते हुये , अपने लीगल एड क्लिनिक का प्रभारी नियुक्त किया है ।

इस लीगल एड क्लिनिक के तहत श्री मित्तल हर प्रकार के कानूनी सहायता व सलाह के इच्छुकों की एवं किसी भी स्तर की कोई भी समस्या या परेशानी की प्राथमिक सुनवाई कर सकेंगें , उनको विभिन्न प्रकार के आवेदन उपलब्ध करायेंगें , उनकी समस्या के उपचार का स्तर व बिन्दु तय कर सकेंगें , उन्हें यदि उच्च स्तरीय विधिक सहायता या सलाह की आवश्यकता महसूस होने पर वे लीगल एड क्लिनिक से जुड़े किसी भी एडवोकेट से मिलवा सकेंगें और उनका परमर्श और सहायता दिलवा सकेंगें , यदि श्री आशीष मित्तल को यह महसूस होता है कि किसी प्रकरण में किसी को न्याय बंधु से मिलवाने , या उनकी सलाह या सहायता की आवश्यकता है , तो वे न्यायबंधु को संबंधित पीड़ित व्यक्ति , संबंधित संगठन के प्रकरण की फाइल तैयार कर सौंपेंगें उसके बाद सीधे न्यायबंधु से मुलाकात करायेंगें ।


आशीष मित्तल अपने क्लिनिक के तहत आने वाले प्रकरणों की छंटनी / स्क्रूटनिंग कर सकेंगें , और उसका स्तर सुनिश्चित करेंगें , इस लीगल एड क्लिनिक से प्राप्त व केवल अनुशंसित प्रकरण ही न्यायबंधु द्वारा ग्रहण किये जायेंगें ।

श्री मित्तल विधिक सहायता के व मुफ्त सलाह के प्रकरण राष्ट्रीय विधिक सहायता प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 के पात्र हितग्राहियों की अलग फाइल बनाकर उसे विधिक सहायता के लिये चिह्नित कर , ऑन लाइन या मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से न्याय विभाग भारत सरकार की विधिक सहायता हेतु न्याय बंधु के भारत सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत कर सकेंगें और प्रकरण के पंजीयन की जानकारी व रसीद सुरक्षित रखेंगें । इसी प्रकार वे यदि किसी प्रकरण में नालसा से विधिक सहायता दिलाना उचित समझेंगें तो उस केस को नालसा में पंजीकृत कर उसकी जानकारी और रसीद सुरक्षित रखेंगें , यदि वे किसी केस को जिला स्तर की विधिक सहायता का पात्र समझेंगें तो उसे जिला विधिक सहायता प्राधिकरण की ओर प्रेषित कर देंगें ।

श्री मित्तल अपने लीगल एड क्लिनिक के माध्यम से विधिक साक्ष्रता , जागरूकता व शिक्षा प्रशिक्षण आदि के विभन्न लोगों , विभन्न समूहों , आम जनता के लिये शिविर , सेमिनार , वर्कशॅाप आदि का आयोजन कर सकेंगें ।  वे विधिक साक्षरता , जानकारी , जागरूकता संबंधी कानूनी या लोकहित सामग्री के प्रकाशनों जैसे पुस्तक , पुस्तिकायें , न्यूज लेटर्स, अन्य प्रकार के साहित्य पत्रकायें आदि प्रकाशित व वितरित कर सकेंगें , वे प्रचार प्रसार , विज्ञापन प्रकाशन , पेम्पलेटस, हेण्डबिल्स , होर्डिंग्स , बैनर्स , कैलेंडर्स आदि  के माध्यम से व्यापक प्रचार कर सकेंगें ।

वे कानून के सहयोग के लिये तथा अपने क्लिनिक के कार्य व सहयोग के लिये , विभन्न स्तर के न्यायालयों के सहयोग के लिये पैरालीगल वालंटियर्स नियुक्त कर सकेंगें । वे क्लिनिक के सहयोग व कार्य के लिये विभिन्न एडवोकेट नियुक्त कर सकेंगें या उन्हें हटा सकेंगें ।

वे साप्ताहिक प्रतिवेदन न्यायबंधु को प्रस्तुत करेंगें और केवल पूर्णत: जवाबदेह न्यायबंधु , सचिव, न्याय विभाग भारत सरकार , प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश संबंधित जिला , मुख्य न्यायाधीश म.प्र. उच्च न्यायालय तथा मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के प्रति होंगें ।       

आय प्रमाण पत्र नहीं बनाने पर मुरैना कलेक्टर , एस डी एम और तहसीलदार मुरैना के खिलाफ मुरैना न्यायालय में मामला पेश

  

आय प्रमाण पत्र नहीं बनाने पर मुरैना कलेक्टर , एस डी एम और तहसीलदार मुरैना के खिलाफ मुरैना न्यायालय में मामला पेश
*** मुरैना में तहसीलदार मुरैना, एस डी एम मुरैना , कलेक्टर मुरैना तथा मुख्य सचिव म प्र शासन के विरूद्ध आय प्रमाण पत्र नहीं बनाने के कारण सी जे एम कोर्ट में हुआ मामला पेश , दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की की गई है मांग साथ ही म प्र लोकसेवा प्रदान गारंटी अधिनियम के तहत पैनल्टी और प्रतिकर दिलाने की की गयी है मांग , सी जे एम मुरैना ने मामला न्यायालय में सुनवाई में लिया , मामला शनिवार को ई कोर्ट से फाइल किया गया था जिसकी सुनवाई आज सोमवार को हुई ।
उल्लेखनीय है कि म.प्र; लोकसेवा प्रदान गारंटी अधिनयम के तहत आय प्रमाण पत्र जारी करने की एक सुनिश्चित प्रक्रिया और प्रावधान है , जिसके तहत आवेदक स्व घोषित घोषणापत्र देकर आय प्रमाण पत्र बनवाता है । जिसके तहत 3 काय्र दिवस के भीतर आय प्रमाण बना कर आवेदक को देना अनिवार्य है , मगर तहसीलदार मुरैना ने आय प्रमाण पत्र जारी करने के बजाय आवेदक का आवेदन ही निरस्त कर दिया , इस पर आवेदक ने मुख्य सचिव म.प्र. शासन तथा मुख्यमंत्री म.प्र. शासन को उसी दिन ही शिकायत सह अपील कर दी , जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय ने दूसरे दिन ही कलेक्टर मुरैना को मय मूल आवेदन तथा समस्त दस्तावेजों सहित सौंप दिया ओर कार्यवाही करने के आदेश दिये , मगर कलेक्टर मुरैना ने डेढ़ महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की , इस संबंध में आवेदक ने उसी दिन ही एक शिकायत म .प्र की सी एम हेलपलाइन पर भी दर्ज कराई , उस पर भी डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी ओर न कोई जवाब दिया गया । इस पर आवेदक पीड़ित व व्यथित होकर न्यायालय में चला गया और आई पी सी की धाराओं 166 तथा 166 (क) के तहत एफ आई आर दर्ज कराने की मांग न्यायालय से की तथा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पैनल्टी से प्रतिकर दिलाये जाने की मांग की । उल्लेखनीय है कि ऐसी पैनल्टी / प्रतिकर की वसूली अपचारी व कदाचारी शासकीय अधिकारी के वेतन और पेंशन से की जाती है तथा उसकी सर्विसबुक में विपरी टीप अंकित की जाती हे । धारा 166 सरकारी ड्यूटी नहीं करने / पूरी नहीं करने , डृयूटी में फैलुअर रहने पर तथा 166 (क) सरकारी अधिकारी के विधि / कानून / प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर दर्ज की जातीं हैं जिनके तहत कारावास और जुर्माना दोनों से ही सरकारी अधिकारी को दंडित किया जाता है । पुलिस द्वारा एफ आई आर दर्ज नहीं किये जाने पर भी यही धारायें पुलिस कर्मियो पर लगाईं जातीं हैं , इसके साथ ही धारा 217 भी लाई जाती है ।
( ग्वालियर टाइम्स )

20 साल तक हाईकोर्ट के आदेश पर हुई एफ आई आर की केस डायरी कोर्ट से चुराकर भागी पुलिस , दुबकाये रही और सबूत फाड़ फाड़ कर फेंकती रही मुरैना पुलिस, मुख्यमंत्री ने लिया एक्शन , कलेक्टर मुरैना को दिये मामले में कार्यवाही के आदेश

               
मुख्यमंत्री ने की कार्यवाही 

 मुरैना 15 सितंबर ( ग्वालियर टाइम्स ) लगातार 20 साल तक कोर्ट और कानून की ऑंखों में धूल झोंक कर भारी भरकम रिश्वत और भ्रष्टाचार की विष्ठा खा रहे और सरकारी धन के गबन और जालसाजी तथा कूटरचना सहित हरिजन एक्ट और डकैती के आरापियों को बचाने में एक के बाद एक पुलिसिये सिलसिलेवार लगे हुये थे और खुलेआम कानून और पुलिस महकमे को चैलेंज कर रहे थे कि पकड़ के दिखाओ , अंतत: कानूनी कार्यवाही की जद में बीस साल बाद आ ही गये । 

नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनंद'' एडवाकेट 

अपने ही कर्मों से आये पकड़ में खाकी की आड़ में छिपे रिश्वतखोर चोर 

20 साल पहले सिटी कोतवाली मुरैना में एक एफ आई आर दर्ज हुई थी , जिसका चारों ओर अखबार में बड़ा भारी प्रचार और शोर था । मामला एक ऐसे जिला शिक्षा अधिकारी से जुड़ा था जो सबसे खौफनाक और दहशत का दूसरा नाम माना जाना और समझा जाता था , जिसके नाम की तूती बोलती थी भोपाल से लेकर कमिश्नर चंबल और कलेक्टर मुरैना तक उसे गुड मार्निंग सर बोला करते थे , पूरी पुलिस और पुलिस अधिकारी जिसकी सेवा और चमचागिरी किया करते थे । 

उसकी दहशत और खौफ इतना था मुरैना जिला में उस वक्त कि पोरसा से श्योपुर तक जिस भी सड़क या राह पर वे निकल जाते उसी तरफ के स्कूलों में कर्फ्यू लग जाता था , 800 से ज्यादा स्कूलों के अनुदान उनने मात्र एक झटके में केवल एक प्रतिवेदन देकर बंद करा दिये । स्कूल की और स्कूल संचालकों  , स्कूल स्टाफ के परिवारों की हालत खस्ता कर दी , भुखमरी फैला दी , बेरोजगारी के साथ भुखमरी से जूझ रहे स्कूलों पर उनका एक और कहर टूूूटा जो कि सन 1996 में शुरू हुआ और वह था फर्जी छात्रवृत्ति कांड , 1996 - 97 में उनने दौड़ते हांफते कुल 42 एफ आई आर छात्रवृतति कांड की दर्ज करा दीं , जिनकी बाद में संख्या बढ़कर 46 हो गयी । 

शिक्षा विभाग मुरैना के बाबूओं से लेकर सरकारी शिक्षकों , बी ई ओ , आदिम जाति कल्याण विभाग के बाबूओं , अफसरों सहित प्राइवेट स्कूलों की संस्थाओं , अध्यक्षों , सचिवों की नामजद एफ आई आर दर्ज हुई ,प्रायवेट स्कूलों के स्टाफ  खिलाफ भी दर्जनों नामजद हुये , एक एफ आई आर में औसतन 6-7 लोग अभियुक्त बनाये गये । 

आखिर एक जगह एक एफ आई आर में संयोगवश किसी तहसीलदार ने एफ आई आर फर्जी छात्रवृत्ति की दर्ज कराई उसमें उनको भी नामजद मुलजिम बना दिया , वहीं से हंगामा उठ खड़ा हुआ , उन्होंने सीधे कलेक्टर मुरैना को पत्र लिखा , राजपत्रित अधिकारी संघ के नाम और लेटरपेड का भी सहारा लिया गया , खैर ये सोचने का विषय बना कि जिसने सैंकड़ों भले शरीफों को मुलजिम बना कर एफ आई आर दर्ज करा दीं , जब मात्र एक एफ आई आर में उसका नाम नामजद हुआ तो वह बुरी तरह से बौखला गये और अपना नाम झूठा जोड़े जाने तथा हटाये जाने हेतु न केवल कलेक्टर को पत्र लिखा बल्कि धुंआधार दवाब भी डाला , कलेक्टर ने उनके पत्र के ऊपर पत्र लिखा तथा पत्र में लिखा कि फर्जी छात्रवृत्ति के मामलों में झूठे नाम जोड़े  जाने की शिकायतें मिल रही हैं , किसी का भी झूठा नाम नहीं जोड़ा जाये , और अगर किसी का झूठा  नाम जोड़ा गया है , उसे हटाया जाये । 

संयोग से यह दोनों पत्र उनके भी और उनके भी हम तक किसी तरह से पहुंच गये । हमने इसे ही अपना प्वाइंट ऑफ एक्शन बनाया और लाइन ऑफ एक्शन में बुनियाद तैयार कर ली , खैर समय रहते इसे भी अन्य साक्ष्यों के साथ हाई कोर्ट में पेश किया गया । मगर इतना अवश्य हुआ कि जैसे ही एक एफ आई आर में उनका नाम आया , उसी दिन से मुरैना जिले में फर्जी छात्रवृत्ति कांड की  एफ आई आर दर्ज होना बंद हो गयीं । 

इन एफ आई आर में खैर होना जाना क्या था , पुलिस वालों को जब भी लाली लिपिस्टिक और चुनरी कुर्ता साड़ी ब्लाउज की जरूरत होती , किसी न किसी नामजद के यहॉं दविश डालने पहुंच जाते और दो चार हजार झटक कर उसे ठांस कर हडका भी आते कि आगे से सावधान रहना , साहब तेज और जल्दी कार्यवाही करने और तुम्हें अरेस्ट करने की कह रहे हैं । सो ध्यान रखना , पुलिस के लिये इन भले शरीफ मुलजिमों का चारों ओर समंदर भरा पड़ा था , सो सब थाने अपने अपने खर्चे के प्रति निश्चिंत थे । सब ठीक ठाक चल रहा था , लेकिन हर कहानी में पूर्ण विराम अवश्य ही एक दिन आता है । सो परेशान लोगों ने एक दिन हमारा दरवाजा खटखटा दिया , सबूतों के जखीरे लाकर पटक दिये हमारे सामने । औ हमने उस दहशत और खौफ का न केवल मुरैना जिला से अंत कर दिया बल्कि उन्हें पद से भी हटवा कर उनके मूल पद सहायक संचालक पर वापस पहुंचा दिया । बस इतनी सी कहानी है इस खास खबर की । 

इतने बड़े मुलजिम के अपराध भी काफी बड़े बड़े थे ,सो इतना सब आसान नहीं था , ऊपर से नीचे तक कोई भी अफसर , नेता , प्रशासन और पुलिस कोई भी न तो उसके खिलाफ सुनता था और न ही कोई कार्यवाही करता था । उस समय मोबाइल फोन और इंटरनेट वगैरह कुछ नहीं चलते थे सब काम मैनुअल ही होता था , बस इतना अच्छा था कि उस समय लॉकडाउन नहीं होता था  । 

थाने में उसके खिलाफ करीब 30-40 अपराधों के लिये एफ आई आर दर्ज करने का आवेदन दिया गया  , पुलिस अधीक्षक मुरैना को धारा 154(3) में भी आवेदन दिया गया , पावती ली गयी , वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों को सभी को आवेदन दिया गया , मगर किसी ने नहीं सुनी , न तो एफ आई आर दर्ज  की और न कोई कार्यवाही ही की , जिला न्यायालय मुरैना में भी परिवाद लगाया गया , उसे भी नहीं सुना गया । आखिकार ग्वालियर हाईकोर्ट में द प्र सं की धारा 482 के तहत याचिका लगी क्रमांक 1216/2001 , जैसे ही हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक मुरैना को , सी एस पी मुरैना और टी आई सिटी कोतवाली मुरैना को नोटिस जारी कर तलब किया , वैसे ही पुलिस तुरंत हरकत में आ गयी और मूवमेंट शुरू हो  गया , एस पी ने जांच की , अंतत: हाईकोर्ट ने उनके प्रतिवेदन और केस डायरी के आधार पर पुलिस अधीक्षक मुरैना के नाम आदेश जारी किया , कि एस पी सारे मामले को स्वयं खुद देंखें , एफ आई आर दर्ज करें , विवेचना करें और न्यायालय में रिपोर्ट ( प्रतिवेदन धारा 173 द प्र सं ) पेश करें । 

आखिर रातों रात सिटी कोतवाली मुरैना में पुलिस अधीक्षक के पत्र सहित एफ आई आर दर्ज की गयी , उस दिन तारीख थी 20 सितंबर 2002 , और दर्ज हुई एफ आई आर का नंबर था क्राइम नंबर 663/02 । इसकी कायमी की जानकारी मिलते ही उनके समर्थक और संरक्षक पुलिस वाले कोतवाली छोड़कर भाग निकले और उनने जाकर उनसे क्या मरसिये बांचें यह तो पता नहीं । एफ आई आर की पहली लाइन में ही पुलिस ने लिखा कि '' अपराध सिद्ध पाये जाने से यह एफ आई आर दर्ज की गयी '' 

इतने सबके बावजूद ऐन दो तीन महीने बाद भ्रष्ट और रिश्वत के अंधे टी आई ने उसमें खात्मा रिपोर्ट काट कर सी जे एम कोर्ट मुरैना में पेश कर दी , वहां सी जे एम ने टी आई को बुरी तरह से लताड़ लगाकर फटकारा और खात्मा रिपोर्ट वापस कर दी तथा अपराध की और विवेचना व अनुसंधान के आदेश दिये तथा हिदायत देते हुये कहा कि जब भी इसकी रिपोर्ट पेश करने आओ तो फरियादी और गवाहों को साथ लेकर आना उनके यहां न्यायालय में कथन / गवाही होगी उसके बाद ही आपकी किसी रिपोर्ट पर विचार किया जायेगा । 

बस तबसे यह केस पुलिस के पास आज तक लंबित पड़ा है । सरकारी धन के गबन , कूटरचना  जालसाजी , फर्जीवाड़े की धारायें तो इसमें पहले से दर्ज हैं 409, 420, 467, 468 , 471, 472 जैसी धारायें तो एफ आई आर 663/02 में कायमी दिनांक से ही अंकित हैं , मगर 80 मुलजिमों में से पुलिस आज दिनांक तक एक भी मुलजिम न तो पकड पाई और न गबन का पैसा सरकार को वापस दिला पाई और न गबन करने वालों को पकड़ पाई । उल्टे इस एफआई आर की केस डायरी कोर्ट से चुरा कर दुबकाती छिपाती और साक्ष्य सबूत नष्ट करने में लगी रही , हाईकोर्ट का आदेश , पुलिस अधीक्षक की मश्क्कत सबकों अपने जूतों तले रौंद कर रख दिया । 

अब मूल खबर पर आते हैं - ताजा वर्तमान मामला क्या है 

हुआ  कुछ यूं कि सन 2017 में इस केस एफ आई आर क्रमांक 663/02 का मामला न्याय विभाग ( विधि एवं कानून मंत्रालय ) भारत सरकार ने अपने स्थानीय न्यायबंधु ( प्रोबोनो लीगल सर्विसेज ) को सौंप दिया और इस पर पुलिस प्रशासन तथा न्यायालयों में , उच्च न्यायालय आदि में कार्यवाहीयां , ड्राफ्टिंग , पेश करना , लड़ना मुकदमा करना आदि सौंप कर अधिकृत कर दिया । न्यायबंधु ने सारे दस्तावेज और केस के इतिहास खंगाले , कड़ी से कड़ियां जोड़ीं , मामले की गंभीरता समझी और मामले में संज्ञान लेकर कार्यवाहीयां शुरू कीं । 

पता चला कि इस केस की कस डायरी में अंतिम अनुसंंधान और विवेचना सी आई डी ब्यूरो ग्वालियर द्वारा की गयी , 37 साक्षियों के कथन/ बयान ग्रहण किये गये , सरकारी धन के गबन की 5 मूल फाइलें जप्त की गयीं , द प्र संं की धारा 173 में चालान पेश करने की तैयारी सी आई डी आफिसर एम के शर्मा द्वारा की जा रही थी , उन्हें 15 लाख रूपये का ऑफर किया गया था केस बंद करने के लिये , उन्होंने इंकार कर दिया , उसी समय उनकी संदिग्ध परिस्थितयों  में मृत्यु हो गयी , न्यायबंधु ने अपने प्रतिवेदन में इसे हत्या किया जाना करार दिया । मृत्यु से पूर्व सी आई डी आफिसर एम के शर्मा ने केस की स्टेटस रिपोर्टें हस्तलिखित रूप में जिला एवं सत्र न्यायालय मुरैना में प्रस्तुत कीं , जिनकी प्रमाणित प्रतियां न्यायबंधु ने कोर्ट से हासिल कीं । 

न्याय बंधु ने सी एम हेल्पलाइन पर अनेक शिकायतें इस अपराध संख्या 663/02 के बारे में की तथा पुलिस को संभलने और त्रुटि सुधार के अवसर दिये , बार बार पुलिस द्वारा सी एम हेल्पलाइन को जाली व फर्जी कूटरचित उत्तर भेज कर शिकायतों को फोर्सली क्लोज कराया गया , केस अलाटमेंट की जानकारी गोपनीय रखते हुये , कानून विरूद्ध और अपराधीयों के संरक्षकों की पहचान का क्रम जारी रखा और खास सबूत की तलाश जारी रखी जिससे इन पुलिसकर्मियों का भांडाफोड मय सबूत किया जा सके । 

पुलिसकर्मियों ने अपने हर जवाब में एक खास प्रकरण का जिक्र किया जिसमें न्यायबंधु पहले से ही कोर्ट द्वारा म.प्र. शासन के साथ पिटीशनर ( फरियादी ) के रूप में न्यायालय द्वारा दर्ज हैं । न्यायबंधु ने इस खास प्रकरण के बार बार हवाले में आने और इस प्रकरण की दर्ज वर्ष 1999 के उपरांत दर्ज एफ आई आर सन 2002 को पुरानी एफ आई आर की आड़ में दबाने की कुत्सित चाल को पकड़ा । 

सन 1999 के मामले का अंतिम फैसला न्यायालय ने 22 जनवरी 2020 को सुना कर उस प्रकरण और उसकी एफ आई आर को समाप्त कर दिया । इसके उपरांत पुन: सी एम हेल्पलाइन पर शिकायतें की गयीं , लेकिन कोई प्रकरण कोर्ट में नहीं होने पर भी वही पूराना जवाब जस का तस बार बार सी एम हेल्पलाइन को दिया गया और कोर्ट द्वारा प्रकण समाप्त किये जाने और एफ आई आर समाप्त किये जाने के बाद भी , उस प्रकरण को कोर्ट में चालू , प्रचलित व संचालित बताते हुये लगातार 20 महीने बाद अब तक वही उत्तर दिया गया , न्प्यायबंधु नेपुलिस महानिदेशक , आई जी चंबल और पुलिस अधीक्षक मुरैना को माह जनवरी 2021 से 02 जुलाई 2021 तक अनेक  ई मेलें भेजकर अवगत करा दिया और संबंधित पुलिसकर्मियों के विरूद्ध एफ आई आर दर्ज किये जाने का अनुरोध किया । इस विषय में नेशनल सायबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर पुलिसकर्मियों तथा अन्य लोगों को नामजद कर मामला दर्ज कया गया , एक पुलिस इंटीमेशन म प्र पुलिस के आफिशियल पोर्टल पर नामजद दिनांक 12 जनवरी 2021 को दर्ज की गयी । दिनांक 19 जुलाई 2021 को पुन: पुलिसकर्मयों ने सी एम हेल्पलाइन पर अपना जवाब दोहराया , कापी पेस्ट किया , न्यायबंधु ने इसी जवाब को आधार मान कर न्यायालयीन कार्यवाही शुरू कर दी , और पाया कि कोर्ट में 20 माह पूर्व समाप्त प्रकरण की , पुलिसवालों ने जाली आदेश का कृत्रिम कूटरचना कर एक नकली व फर्जी न्यायालय का आदेश तैयार किया है तथा कूटरचित व जाली न्यायालयीन कार्यवहीयां एवं आदेश पत्रिकायें तैयार की हैं । जिनका इस्तेमाल सी एम हेल्पलाइन पर जवाब देने में और वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों एवं प्रशासन व शासन को गुमराह एवं भ्रमित करने के लिये किया जा रहा है । 

न्यायालयीन कार्यवाही के प्रथम प्रक्रम पर 14 सितम्बर 2021 को न्यायबंधु ने एक विधिक आवेदन पुलिसवालों के विरूद्ध धारा 166 (क) , 217 सहित न्यायालय के आदेश एवं कार्यवाहियों की कूटरचना करने व जालसाजी छल कपट व धोखाधड़ी़ से मिथ्या साक्ष्य के रूप में उनका सी एम हेल्पलाइन तथा वरिष्ठ पुलिस , प्रशासन , शासन के अधिकारीयों को गुमराह व भ्रमित करनेे के लिये किया गया है । अत: इन धाराओं में भी इनके विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर निलंबित कर गिरफ्तार किया जाये । साथ ही सिटी कोतवाली मुरैना में दर्ज अपराध संख्या 663/02 में इनको सह अभियुक्त के रूप मे दर्ज कर नामजद किया जाये एवं इसमें न्यायालय में अविलंब चालान पेश किया जाये । 

न्यायबंधु ने अपना यह विधिक आवेदन पुलिस महानिदेशक , मुख्यसचिव , मुख्यमंत्री म; प्र; शिवराज सिंह चौहान , आई जी चंबल तथा ए पी मुरैना को भेजा था साथ ही न्यायालय की केस स्टेटस रिपोर्टें और केस संबंधी अन्य दस्तावेज और आर्डरशीटें भेजी थीं , जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा तुरंत कार्यवाही करते हुये उसी दिन 14 सितम्बर 2021 को ही सारा मामला मुरैना कलेक्टर को कार्यवाही करने / एक्शन लेने हेतु भेजा है । न्यायबंधु इस के उपरांत प्रकरण को न्यायालय में दाखिल करेंगें , अगर पुलिस एफ आई आर होती है तो म प्र शासन की भी पैरवी स्वयं करेंगें और यदि पुलिस एफ आई आर नहीं करती तो न्याय विभाग भारत सरकार की ओर से न्यायबंधु के रूप में जिला अदालत और उच्च न्यायालय मे केस दर्ज करायेंगें । और भारत सरकार की ओर से इन सब पर केस चलाया जायेगा ।          

 

 

 

मुरैना-ग्वालियर मार्ग पर आरटीओ द्वारा वाहनों की चैकिंग की गई

 परिवहन आयुक्त एवं अपर परिवहन आयुक्त के आदेशानुसार मुरैना-ग्वालियर मार्ग पर बानमौर पर लगभग 38 सवारी वाहनों की जांच की गई। जांच में लगभग 10 यात्री वाहनों से 13 हजार 500, यात्री कर 8 हजार 200 रूपये की वसूली की गई। वाहन क्रमांक एमपी-07- पी-0402 को जप्त कर मध्यप्रदेश बकाया कर 38 हजार 731 रूपये ऑनलाइन वसूली गई। मुरैना आरटीओ ने बताया कि आज की जांच में कुल 60 हजार 431 रूपये की राजस्व वसूली गई है।

न तो ऑनलाइन पंजीयन हो रहे थे और न ओटीपी आ रहे थे फिर भी स्पष्टीकरण और बयान गोया ऑनलाइन पंजीयन में अनियमितता संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं

 खुद ग्वालियर टाइम्स ने चार दिन चेक किया था पोर्टल , न तो किसानों के पंजीयन हो रहे थे ऑनलाइन और न ओटीपी आ रहे थे , उस समय ग्वालियर टाइम्स ने यह खबर भी प्रकाशित की थी , अब एक अखबार ने छाप दी  तो स्पष्टीकरण जारी कर दिया । खैर ग्वालियर टाइम्स इस स्पष्टीकरण से सहमत नहीं है । इसी आधार पर यह स्पष्टीकरण प्रकाशित किया जा रहा है । 

13 फरवरी 2021 को एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर ’’बीते साल से 22 प्रतिशत ज्यादा पंजीयन, फिर भी किसान परेशान’’ खबर में स्पष्टीकरण देते हुये किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मुरैना के उपसंचालक श्री पी.सी. पटेल ने कहा है कि समर्थन मूल्य पर रबी फसलों की उपज बेचने के लिये ऑनलाइन पंजीयन में अनियमितता संबंधी किसी भी प्रकार की कोई शिकायत कृषि विभाग को प्राप्त नहीं हुई है।

बाढ़ में गैस सिलेण्डर बह जाने अथवा अनुपयोगी हो जाने की जानकारी शासन द्वारा चाही

 अगस्त-2021 के प्रथम सप्ताह में ग्वालियर और चंबल संभाग में हुई अतिवर्षा और नदियों में बाढ़ आने से उज्जवला योजना क्रमांक-1 के ऐसे हितग्राही जिन्हें गैस कनेक्शन चूल्हा एवं सिलेण्डर दिये गये थे, अगर इन हितग्राहियों के गैस चूल्हे बाढ़ में बह गये है, अथवा अनुपयोगी हो गये है, उनकी जानकारी राज्य शासन द्वारा एकत्रित करायी जा रही है।

    चंबल और ग्वालियर संभाग के कलेक्टरों को निर्देश दिये गये है कि जिले के जिन परिवारों को उज्जवला योजना के अन्तर्गत गैस कनेक्शन दिये गये है, उनकी सूची संबंधित डीलरों के पास उपलब्ध है। उक्त सूची से बाढ़ प्रभावित परिवारों का मिलान करवा लिया जाये। जो परिवार बाढ़ से प्रभावित हुये है, उनका डोर टू डोर सर्वे, भौतिक सत्यापन करवाकर यह देखा जाये कि उनको प्रदत्त सिलेण्डर बाढ़ में बह गये है, अगर बह गये है तो ऐसे परिवारों की सूची बनकर प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग भोपाल को भिजवायें। जिन परिवारों के सिलेण्डर बिना उपयोग किये पाये जाते है, उन्हें कंपनी द्वारा बदलकर दूसरा सिलेण्डर दिया जाये। 

कक्षा 10वीं और 12वीं की विशेष परीक्षा 6 सितंबर से

 माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी और हायर सेकेण्डरी व्यावसायिक के साथ ही दृष्टिहीन-मूक बधिर (दिव्यांग) पाठ्यक्रम की विशेष परीक्षा 2021 का परीक्षा कार्यक्रम जारी कर दिया है। परीक्षार्थियों के प्रवेश-पत्र 1 सितंबर 2021 से एम.पी. ऑनलाईन के पोर्टल पर उपलब्ध होंगे। हाईस्कूल नियमित और स्वाध्यायी, दृष्टिहीन, मूक बधिर (दिव्यांग) परीक्षार्थियों की परीक्षा 6 सितंबर से 15 सितंबर 2021 तक और हायर सेकेण्डरी सर्टिफिकेट, व्यवसायिक, दृष्टिहीन, मूक बधिर की परीक्षाएँ 6 सितंबर 2021 से 21 सितंबर 2021 तक सुबह 9 से 12 बजे के बीच आयोजित की जायेगी। इस प्रकार दोनों परीक्षाओं का संचालन एक साथ किया जायेगा। 

      नियमित और स्वध्यायी छात्रों की प्रायोगिक परीक्षाएँ, उन्हें आवंटित परीक्षा केन्द्र पर निर्धारित अवधि के दौरान ही आयोजित होंगी। प्रायोगिक परीक्षा की तिथि और समय के लिए परीक्षार्थी संबंधित केन्द्र के केन्द्राध्यक्ष से संपर्क कर सकते है। परीक्षा कार्यक्रम मंडल से सम्बद्ध सभी विद्यालयों के बाहर नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जायेगा।

सेल्फी प्वाइंट बना आकर्षण का केन्द्र

 वैक्सीनेशन महाअभियान-2 के तहत टीकाकरण केन्द्रों पर सेल्फी प्वाइंट बनाए गए थे। वैक्सीन लगवाने के लिए आने वालों में से सेल्फी प्वाइंट आकर्षण केन्द्र बने। महिलाएँ भी सेल्फी लेने के लिए उत्साहित देखी गईं।

बाढ पीडि़तों की दी गई राहत व सामग्री की रेण्डम जांच होगी चंबल कमिश्नर ने दिये संभागीय अधिकारियों को निर्देश

 

चंबल संभाग के तीनों जिलों में पिछले दिनों हुई अतिवर्षा एवं चंबल और क्वारी नदी से आई बाढ़ से सैंकड़ों परिवार प्रभावित हुये हैं। इन सभी परिवारों को राहत राशि एवं खाद्यान्न सहित अन्य सामग्रियों का वितरण किया गया है।
    चंबल संभाग के कमिश्नर श्री आशीष सक्सेना ने चंबल संभाग के एडीशनल कमिश्नर श्री अशोक कुमार चौहान, संयुक्त कमिश्नर विकास श्री राजेन्द्र सिंह सहित अन्य वरिष्ठ संभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि तीनों जिलों में बांटी गई राहत राशि भोजन खाद्यान्न सामग्री सहित अन्य दी गई मदद की रेण्डम जांच कर मुझे सूचित करें। कमिश्नर ने यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारी यह भी देखें कि सर्वे निश्चित रूप से सही हुआ है, कोई भी व्यक्ति इससे छोटा तो नहीं है। सर्वे सूची पंचायत भवन पर चस्पा की गई है या नहीं। चस्पा की गई सूची पर किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है। अगर आपत्ति है तो कलेक्टर से उसका निराकरण सुनिश्चित करायें। लोगों की यह शिकायत है कि यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि पीडि़त लोगों का आवास की सूची में नाम है या उनके वारिस नहीं।     कमिश्नर ने बताया कि मुरैना भिंड में दो-दो और श्योपुर में 9 लोगों की मृत्यु पर परिजनों को 42 लाख रूपये का भुगतान प्रति परिवार को 4-4 लाख रूपये किया गया है। मुरैना में 1 लाख 7 हजार 27 लोगों को 2616 क्विंटल भिण्ड में, 5 हजार 57 लोगों को 3606.5 क्विंटल और श्योपुर जिले में 19 हजार 874 लोगों 9937 क्विंटल खाद्यान्न का वितरण किया गया। मुरैना में 1 हजार 727 लोगों को 86 लाख 22 हजार, भिंड जिले के 3 हजार 782 लोगों को 1 करोड़ 89 लाख 10 हजार और श्योपुर जिले के 17 हजार 811 लोगों को जिनके कपड़ा बर्तन खाद्यान्न की क्षति हुई थी इनको 8 करोड़ 90 लाख 55 हजार रूपये की राशि का वितरण किया है। प्रति परिवार यह राशि 5-5 हजार के हिसाब से वितरित की गई है। जिन परिवारों के मकान पूरी तरह से नष्ट हो गये हैं उन्हें 75 हजार 100 रूपये प्रतिपरिवार के हिसाब से उनके खातों में पैसा डाला जा रहा है।

मिठाई की दुकानों से सैंपलिंग की कार्यवाही

संजीव कुमार जैन, तहसीलदार श्री अजय कुमार शर्मा और खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री धर्मेंद्र कुमार जैन ने दल के साथ नगर निगम के अंतर्गत 11 मिठाई की दुकानों पर छापामार कार्यवाही की और सैंपल लिये जिसमें मुरैना मिष्ठान भंडार से मावा पेड़ा, मावा बर्फी, गिर्राज मिष्ठान भंडार से मिल्क केक और मावा बर्फी, धनीराम कुशवाह मिष्ठान भंडार से मावा बर्फी, चित्रकूट मिष्ठान भंडार से मलाई बर्फी, गिर्राज मिष्ठान भंडार से मीठा मावा, चित्रकूट मिष्ठान भंडार से मावा बर्फी, ओम चित्रकूट मिष्ठान भंडार से बेसन लडडू, ब्रज स्वीटस बेरियल से मूंग दाल बर्फी, श्री बालाजी मिष्ठान भंडार से मलाई बर्फी, गुरू कृपा स्वीटस एंड स्नेक्स से गुजिया और बीकानेर स्वीटस से बर्फी के सैम्पल लेकर जांच हेतु लैब के लिये भेज दिये गये हैं।

·        ग्वालियर हाई कोर्ट के जूरिस्डिक्शन क्षेत्रांतर्गत कार्य करेगा लीगल एड क्लिनिक ·        गरीबों , लाचारों को मिल सकेगी मुफ्त कानू...